मां वो तेरी किस्से कहानियां और वो लोरिया
वो मेरी छोटी छोटी जरुरत के लिए पापा के जेब से चोरिया
अब बहुत याद आती हैं मां
कैसे मेरी छोटी छोटी जरुरत समझ जाती थी
मुझे स्कूल भेजने के लिए खुद अपनी नींद खराब करके जग जाती थी
कैसे भूलूं मेरा वो हाथ का जलना
तेरे पैर में बिना चप्पल के भागते हुए डॉक्टर के पास चलना
क्या क्या बताऊं मां तेरा बेटा बड़ा हो गया हैं
अभी पूरी तरह से ना सही अपने पैर पे खड़ा हो गया हैं
तू यू चली गई मुझे यकीन नही हुआ
अब लौट आ मां बस बहुत हुआ
तेरी याद बहुत सताती है
हर रात मुझे रुलाती है
तू चली गई मुझे यकीन नहीं हुआ
अब लौट आ मां बस बहुत हुआ ।।
चाय की प्याली:
मेरी सुबह अधूरी हैं जब तक,
चाय की खुशबू सूंघ ना लू,
और ये खुशबू निकलती नहीं दिमाग से तब तक,
जब तक मैं चाय की प्याली को चूम ना लू
प्रश्न:-
जिस माथे को चूमा तुमने,
क्या उस माथे को अरुण रंग दे पाओगे?
किए थे जो भी वादे मिलने से पहले,
क्या उन सभी वादों को ता-उम्र निभा पाओगे?
ये दुनिया कहती है इश्क़ में बड़ा फरेब है,
क्या तुम इस बात को गलत साबित कर पाओगे?
जब मैं तन्हा हो जाऊंगा
गुमनामी में खो जाऊंगा
दुनिया के बंधन टूटेंगे
जब मेरे मुझसे रूठेंगे
तब मेरे दीवान से चुनकर
कोई नज्म सुनाओगी क्या
मुझसे मिलने आओगी क्या?
हैं होठों पर गीतवाभी तो
जीवन के संगीत अभी तो
मैं गीतों का राजकुंवर भी है
बहुतेरे मीत अभी तो
लेकिन जब मिट जायेगा सब
अपना हाथ बढ़ाओगी क्या
मुझसे मिलने आओगी क्या?
*******************
जब मैं तन्हा हो जाऊंगा
गुमनामी में खो जाऊंगा
दुनिया के बंधन टूटेंगे
जब मेरे मुझसे रूठेंगे
तब मेरे दीवान से चुनकर
कोई नज्म सुनाओगी क्या
मुझसे मिलने आओगी क्या?
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हैं होठों पर गीतवाभी तो
जीवन के संगीत अभी तो
मैं गीतों का राजकुंवर भी है
बहुतेरे मीत अभी तो
लेकिन जब मिट जायेगा सब
अपना हाथ बढ़ाओगी क्या
मुझसे मिलने आओगी क्या?
विरह श्रृंगार : ( hindi-kavita-virah-vedna)
भ्रम:-
पल भर के ये मोहब्बत की मीठी बातें तुम्हें भरम देती है,
ये चंद घंटों की मुलाकातें तुम्हें ज़िंदगी भर का ज़ख्म देती हैं,
तू खुद को क्या अपने मां बाप के अरमानों को भी अपने पावों तले कुचल देता है,
जब वो बेवफ़ा तुझे अपना झूठा प्यार और कसम देती है।।
रात्रि तीसरे पहर का समय हो रहा है और मैं अनायास ही जागा हुआ हूं, वैसे तो यह मध्यरात्रि का समय घोर निद्रा का है परंतु आंखों में किसी भी प्रकार की नींद वाली कोई हलचल नहीं है, मेरा कमरा अंधेरों से भरा है, मुझे अंधेरे से मोहब्बत है क्यूंकि मैं इसके साये में कभी-कभी रो भी लेता हूं
झूठे ख्वाब: ( Sapne par shayari )
फरेबी थे तुम,तुमने मुझे फरेब सिखाया।
दिलों से खेलने का तुमने, मुझे क्या ढंग सिखाया।
मैं तो अंजान था ऐसे रास्तें ऐसी मंजिलो से,
तुमने ही मुझे झूठे सपने दिखा कर उनपे चलना सिखाया।
अब मैं हो गया हूं बिल्कुल तेरे जैसा, तुमने मुझे बेवफ़ा बताया
पत्थर दिल बताया।
– शुभम सिंह